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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2696
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - चतुर्थ प्रश्नपत्र - अनुसंधान पद्धति

प्रश्न- 'वैज्ञानिक पद्धति' क्या है? वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।

अथवा
अनुसन्धान की वैज्ञानिक विधि का अर्थ एवं इसकी चार विशेषताएँ बताइए।
अथवा
वैज्ञानिक शोध किसे कहते हैं? इसकी विशेषताएँ बताइए।

उत्तर -

वैज्ञानिक पद्धति
(Scientific Method)

साधारणतया वैज्ञानिक पद्धति का अभिप्राय ऐसे तरीकों से लगाया जाता है जिनके द्वारा विज्ञान का सृजन होता है। वैज्ञानिक पद्धति का अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्थित प्रणाली से है जिसके द्वारा किसी भी विषय के सम्बन्ध में व्यवस्थित, क्रमबद्ध एवम् यथार्थ ज्ञान का संकलन किया जाता है। वैज्ञानिक पद्धति की प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं-

(i) कोहन तथा नागल (Cohen and Nagel) के अनुसार, “जिसे वैज्ञानिक पद्धति कहा जाता है वह अन्य विधियों से मूल रूप से इस बात में भिन्न है कि वह यथासम्भव सन्देह (शंका) को प्रोत्साहित एवं विकसित करती है जिससे कि इस सन्देह से जो कुछ भी बचा रहे वह सदैव सर्वोत्तम प्राप्त प्रमाण से परिपुष्ट हो सके। "

(ii) लुण्डबर्ग (G. A. Lundberg ) ने लिखा है, “वैज्ञानिक पद्धति में सामग्री का क्रमबद्ध अवलोकन वर्गीकरण तथा निर्वचन सम्मिलित है।"
(iii) थाउलस (Thouless) के शब्दों में, “वैज्ञानिक पद्धति सामान्य नियमों की खोज के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रविधियों की एक व्यवस्था है जो कि विभिन्न विज्ञानों में कई बातों में भिन्न-भिन्न होते हुए भी एक सामान्य प्रकृति को बनाये रखती है। "

वैज्ञानिक पद्धति की विशेषतायें
(Characteristics of Scientific Method)

वैज्ञानिक पद्धति की निम्नलिखित पाँच विशेषताएँ हैं-

(1) सत्यापनीयता - वैज्ञानिक पद्धति की सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसके द्वारा प्राप्त निष्कर्ष का किसी भी समय सत्यापन (जाँच) किया जा सकता है। वास्तव में वैज्ञानिक पद्धति किसी भी व्यक्ति की निजी पद्धति नहीं होती है और इसका प्रयोग कोई भी वैज्ञानिक किसी भी समय व किसी भी प्रकार के अध्ययन विषय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए कर सकता है। इसीलिए यदि किसी वैज्ञानिक को सन्देह हो कि किसी विषय के सम्बन्ध में उसके पहले के किसी वैज्ञानिक द्वारा निकाला गया निष्कर्ष ठीक है अथवा नहीं, तो वह वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर उस निष्कर्ष के सत्यापन की जाँच या पुनः परीक्षा कर सकता है। उदाहरणार्थ, यदि वैज्ञानक पद्धति को अपनाकर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि गन्दी बस्तियाँ बाल अपराधी बनाने में सहायक होती हैं। परन्तु यदि आपको हमारे इस निष्कर्ष पर सन्देह हो तो आप भी हमारी तरह वैज्ञानिक पद्धति को अपनाकर इस बात की जाँच स्वयं कर सकते हैं कि हमारा निष्कर्ष ठीक है या गलत। अतः यह कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक पद्धति स्वयं कोई रहस्य नहीं है। जो तरीका रहस्यमय हो वह जादुई तरीका या अलौकिक विधि हो सकती है, उसे वैज्ञानिक पद्धति नहीं कहा जा सकता। वैज्ञानिक पद्धति का कार्य सन्देह को मिटाना है, न कि सन्देह को बढ़ाना। त्रुटिपूर्ण पद्धति ही सन्देहवर्धक होती है, वैज्ञानिक पद्धति तो पुनः परीक्षा की कसौटी पर सदा खरी उतरती है। श्री जेम्स लूथर ने लिखा है कि जिस पद्धति द्वारा पुनः परीक्षा सम्भव नहीं, वह वैज्ञानिक पद्धति नहीं हो सकती, वह या तो दार्शनिक अथवा काल्पनिक पद्धति होती है।

(2) निश्चयात्मकता - वैज्ञानिक पद्धति का एक और उल्लेखनीय तत्त्व यह है कि इसमें अस्पष्टता या अनिश्चितता का बिल्कुल ही अभाव होता है। वैज्ञानिक पद्धति एक वैज्ञानिक के लिए कुछ और दूसरे के लिए कुछ और हो, ऐसी बात नहीं है - यह तो पूर्णतया सुनिश्चित होती है जिसका अनुसरण करके कोई भी वैज्ञानिक अपनी आवश्यकतानुसार किसी भी समय सत्य की खोज कर सकता है। वैज्ञानिक पद्धति किन्हीं भी अनिश्चित या सन्देह उत्पन्न करने वाले तत्त्वों को अपने में स्थान नहीं देती है क्योंकि यह वैज्ञानिक भावना के प्रतिकूल है। उदाहरणार्थ, यदि हम आवेग में आकर यह कह कहते हैं कि सभी गरीब चोर होते हैं, तो हमारा यह कथन वैज्ञानिक पद्धति के अनुकूल नहीं होगा, क्योंकि इस कथन में निश्चितता का अभाव है। इसी प्रकार यदि हम एक साँप को देखकर यह कहते हैं कि वह साँप काफी लम्बा था, तो भी हमारा यह कथन वैज्ञानिक पद्धति के अनुकूल नहीं होगा। इसके स्थान पर अगर हम यह कहते हैं कि साँप 4 फुट 2 इंच लम्बा था तो हमारे इस कथन से साँप की लम्बाई का एक वास्तविक व निश्चित ज्ञान हमें होगा और वह वैज्ञानिक पद्धति के अनुकूल कहा जा सकेगा। अतः हम कह सकते हैं कि वैज्ञानिक पद्धति स्पष्ट तथा सुनिश्चित ज्ञान प्राप्त करने की विधि है; अस्पष्टता या अनिश्चितता के अन्धकार में भटकाने की पद्धति नहीं।

(3) वस्तुनिष्ठता - वैज्ञानिक पद्धति में वस्तुनिष्ठता का गुण पाया जाता है। इसका तात्पर्य यह है . कि वैज्ञानिक पद्धति वह पद्धति है जो कि अपने अध्ययन विषय को जैसा वह है ठीक उसी रूप में प्रस्तुत करती है और ऐसा करते हुए वह अपने को समस्त पूर्वधारणाओं, विशिष्ट विचारों, पक्षपातपूर्ण भावनाओं आदि से पूर्णतया विमुक्त रखती है। वैज्ञानिक पद्धति का काम विषय से सम्बद्ध वास्तविक तथ्यों को उसके मूल रूप से एकत्रित करना है जिससे कि विषय का वास्तविक स्वरूप स्पष्ट रूप में प्रकट हो चाहे वह स्वरूप अच्छा हो या बुरा, सुन्दर हो या कुरूप, अनुकरणीय हो या वर्जनीय। अत्यधिक तटस्थता वैज्ञानिक पद्धति की एक उल्लेखनीय विशेषता है और इसीलिए वह किसी भी विषय पर मनमाना रंग चढ़ाकर या उसे तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत नहीं करती है। वैज्ञानिक पद्धति स्वयं वास्तविकता के सम्मुख झुक जाती है, न कि वास्तविकता को झुका देती है। वास्तविकता को वास्तविक रूप में प्रकट करना ज्ञान-प्राप्ति की या सत्य की खोज की प्रथम सीढ़ी है-यही वैज्ञानिक पद्धति की मान्यता है। प्रो० वोल्फ ने लिखा है, “समस्त ठोस ज्ञान की प्रथम आवश्यकता नग्न तथ्यों को प्राप्त करने और बाह्य स्वरूप मात्र से अथवा प्रचलित विचार से या अपनी स्वंय की इच्छाओं से प्रभावित न होने का दृढ़ संकल्प एवं योग्यता है।" अतः वैज्ञानिक पद्धति वह साधन है, जिसकी सहायता से हम वस्तुनिष्ठ तथ्यों . को एकत्रित कर सकते हैं। दूसरे शब्दों में व्यक्तिनिष्ठता से अपने को दृढ़तापूर्वक दूर रखना वैज्ञानिक पद्धति की एक उल्लेखनीय विशेषता है। पर इसका तात्पर्य यह नहीं है कि वैज्ञानिक पद्धति की सहायता से व्यक्तिनिष्ठ घटनाओं का अध्ययन ही नहीं किया जा सकता; इसका तात्पर्य केवल इतना ही है कि किसी भी प्रकार की घटना (चाहे वह वस्तुनिष्ठ हो या व्यक्तिनिष्ठ) के अध्ययन, विवेचन व विश्लेषण में व्यक्तिनिष्ठ आधारों या व्यक्तिनिष्ठ दृष्टिकोण को अपनाना वैज्ञानिक पद्धति के अनुकूल नहीं है। वैज्ञानिक पद्धति का 'धर्म' तो व्यक्तिनिष्ठ घटनाओं का भी वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण से अध्ययन करना व उनके सम्बन्ध में वास्तविक ज्ञान को प्राप्त करना है।

(4) पूर्वकथनीयता - वैज्ञानिक पद्धति में भविष्यवाणी करने की क्षमता ( पूर्वकथनीयता) निहित होती है। यह क्षमता विज्ञान की एक बहुत बड़ी विशेषता की परिचायक है। किसी भी विज्ञान के लिए यही स्वाभाविक भी है क्योंकि वैज्ञानिक पद्धति की सहायता से किसी भी घटना के कार्य-कारण सम्बन्धों को जाना जा सकता है और यह सम्बन्ध स्पष्ट होते ही उस घटना की भविष्य गतिविधि के विषय में संकेत करना कठिन नहीं होता है। उदाहरणार्थ, यदि वास्तविक अध्ययन के द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतवर्ष में जनसंख्या बढ़ने का एक कारण बाल-विवाह या जल्दी विवाह है तो हम यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि यदि बाल-विवाह या शीघ्र विवाह की प्रथा को रोका न गया तो भारत में जनसंख्या की वृद्धि को भी रोकना कठिन होगा। इसी प्रकार यदि हम औद्योगीकरण और संयुक्त परिवार के विघटन के बीच वास्तविक अध्ययन के द्वारा किसी कार्य कारण सम्बन्ध को ढूँढ़ निकालने में सफल होते हैं तो हमारे लिए संयुक्त परिवार के भविष्य का पूर्वानुमान लगाना सरल होगा। उस अवस्था में हम यह कह सकते हैं कि भविष्य में देश में औद्योगीकरण के विस्तार के साथ-साथ संयुक्त परिवार का विघटन भी अवश्यम्भावी है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- अनुसंधान की अवधारणा एवं चरणों का वर्णन कीजिये।
  2. प्रश्न- अनुसंधान के उद्देश्यों का वर्णन कीजिये तथा तथ्य व सिद्धान्त के सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
  3. प्रश्न- शोध की प्रकृति पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- शोध के अध्ययन-क्षेत्र का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- 'वैज्ञानिक पद्धति' क्या है? वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
  6. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरणों का वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- अन्वेषणात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  8. प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- शोध से क्या आशय है?
  10. प्रश्न- शोध की विशेषतायें बताइये।
  11. प्रश्न- शोध के प्रमुख चरण बताइये।
  12. प्रश्न- शोध की मुख्य उपयोगितायें बताइये।
  13. प्रश्न- शोध के प्रेरक कारक कौन-से है?
  14. प्रश्न- शोध के लाभ बताइये।
  15. प्रश्न- अनुसंधान के सिद्धान्त का महत्व क्या है?
  16. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के आवश्यक तत्त्व क्या है?
  17. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ लिखो।
  18. प्रश्न- वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरण बताओ।
  19. प्रश्न- गृह विज्ञान से सम्बन्धित कोई दो ज्वलंत शोध विषय बताइये।
  20. प्रश्न- शोध को परिभाषित कीजिए तथा वैज्ञानिक शोध की कोई चार विशेषताएँ बताइये।
  21. प्रश्न- गृह विज्ञान विषय से सम्बन्धित दो शोध विषय के कथन बनाइये।
  22. प्रश्न- एक अच्छे शोधकर्ता के अपेक्षित गुण बताइए।
  23. प्रश्न- शोध अभिकल्प का महत्व बताइये।
  24. प्रश्न- अनुसंधान अभिकल्प की विषय-वस्तु लिखिए।
  25. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के चरण लिखो।
  26. प्रश्न- अनुसंधान प्ररचना के उद्देश्य क्या हैं?
  27. प्रश्न- प्रतिपादनात्मक अथवा अन्वेषणात्मक अनुसंधान प्ररचना से आप क्या समझते हो?
  28. प्रश्न- 'ऐतिहासिक उपागम' से आप क्या समझते हैं? इस उपागम (पद्धति) का प्रयोग कैसे तथा किन-किन चरणों के अन्तर्गत किया जाता है? इसके अन्तर्गत प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख स्रोत भी बताइए।
  29. प्रश्न- वर्णात्मक शोध अभिकल्प की व्याख्या करें।
  30. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध अभिकल्प क्या है? इसके विविध प्रकार क्या हैं?
  31. प्रश्न- प्रयोगात्मक शोध का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा सीमाएँ बताइए।
  32. प्रश्न- पद्धतिपरक अनुसंधान की परिभाषा दीजिए और इसके क्षेत्र को समझाइए।
  33. प्रश्न- क्षेत्र अनुसंधान से आप क्या समझते है। इसकी विशेषताओं को समझाइए।
  34. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ व प्रकार बताइए। इसके गुण व दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख प्रकार एवं विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- सामाजिक अनुसन्धान की गुणात्मक पद्धति का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के गुण लिखो।
  38. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन के दोष बताओ।
  39. प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान के दोष बताओ।
  40. प्रश्न- क्षेत्र-अध्ययन और सर्वेक्षण अनुसंधान में अंतर बताओ।
  41. प्रश्न- पूर्व सर्वेक्षण क्या है?
  42. प्रश्न- परिमाणात्मक तथा गुणात्मक सर्वेक्षण का अर्थ लिखो।
  43. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण का अर्थ बताकर इसकी कोई चार विशेषताएँ बताइए।
  44. प्रश्न- सर्वेक्षण शोध की उपयोगिता बताइये।
  45. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति कीक्या उपयोगिता है? सामाजिक अनुसंधान में वैज्ञानिक पद्धति की क्या उपयोगिता है?
  47. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के विभिन्न गुण बताइए।
  48. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण तथा सामाजिक अनुसंधान में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या सीमाएँ हैं?
  50. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की क्या उपयोगिता है?
  52. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण की विषय-सामग्री बताइये।
  53. प्रश्न- सामाजिक अनुसंधान में तथ्यों के संकलन का महत्व समझाइये।
  54. प्रश्न- सामाजिक सर्वेक्षण के प्रमुख चरणों की विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- अनुसंधान समस्या से क्या तात्पर्य है? अनुसंधान समस्या के विभिन्न स्रोतक्या है?
  56. प्रश्न- शोध समस्या के चयन एवं प्रतिपादन में प्रमुख विचारणीय बातों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
  59. प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
  60. प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
  61. प्रश्न- अनुसंधान समस्या के प्रकार बताओ।
  62. प्रश्न- शोध समस्या किसे कहते हैं? शोध समस्या के कोई चार स्त्रोत बताइये।
  63. प्रश्न- उत्तम शोध समस्या की विशेषताएँ बताइये।
  64. प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
  65. प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
  66. प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
  67. प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
  68. प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
  69. प्रश्न- परिकल्पना की अवधारणा स्पष्ट कीजिये तथा एक अच्छी परिकल्पना की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  70. प्रश्न- एक उत्तम शोध परिकल्पना की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- उप-कल्पना के परीक्षण में होने वाली त्रुटियों के बारे में उदाहरण सहित बताइए तथा इस त्रुटि से कैसे बचाव किया जा सकता है?
  72. प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
  73. प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
  74. प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- उपकल्पना की परिभाषाएँ लिखो।
  77. प्रश्न- उपकल्पना के निर्माण की कठिनाइयाँ लिखो।
  78. प्रश्न- शून्य परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
  79. प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
  80. प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
  81. प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
  82. प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
  83. प्रश्न- महत्वशीलता स्तर या सार्थकता स्तर (Levels of Significance) को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइए?
  84. प्रश्न- शून्य परिकल्पना में विश्वास स्तर की भूमिका को समझाइए।

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